Sunday, July 19, 2009

मेरी मुश्किल !
 मैं जिंदगी के रस्ते पे चुप-चाप बिखर जाता,
अगर एक रोज़ भी अपनी तन्हाई से दर जाता, 
सामने मंजिल थी और पीछे उसकी आवाज़, 
रुकता तो सफ़र जाता, चलता तो बिचड जाता,